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यत्र॒ वह्नि॑र॒भिहि॑तो दु॒द्रव॒द्द्रोण्यः॑ प॒शुः। नृ॒मणा॑ वी॒रप॒स्त्योऽर्णा॒ धीरे॑व॒ सनि॑ता ॥४॥

English Transliteration

yatra vahnir abhihito dudravad droṇyaḥ paśuḥ | nṛmaṇā vīrapastyo rṇā dhīreva sanitā ||

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Pad Path

यत्र॑। वह्निः॑। अ॒भिऽहि॑तः। दु॒द्रव॑त्। द्रोण्यः॑। प॒शुः। नृ॒ऽमनाः॑। वी॒रऽप॑स्त्यः। अर्णा॑। धीरा॑ऽइव। सनि॑ता ॥४॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:50» Mantra:4 | Ashtak:4» Adhyay:3» Varga:4» Mantra:4 | Mandal:5» Anuvak:4» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

जो अग्नि के सदृश व्यवहार के धारण करनेवाले होवें, वे धीर होते हैं, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (यत्र) जिसमें (द्रोण्यः) शीघ्र चलनेवालों में उत्पन्न (पशुः) जो देखा जाता है, उसके सदृश (अभिहितः) कहा गया वा धारण किया गया (वह्निः) प्राप्त करनेवाला अग्नि (दुद्रवत्) अत्यन्त चलता है, वहाँ (अर्णा) प्राप्त करानेवाली (धीरेव) ध्यानवती के सदृश (नृमणाः) मनुष्यों में जिसका मन (वीरपस्त्यः) जिसके गृह में वीर वह पुत्र (सनिता) विभाग करनेवाला होवे ॥४॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमा और वाचकलुप्तोपमालङ्कार हैं। जो अग्नि के सदृश तेजस्वी और वेग से युक्त होवें, वे सत्य और असत्य के विभाग करनेवाले होवें ॥४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

ये वह्निवद्व्यवहारवोढारः स्युस्ते धीरा जायन्त इत्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यत्र द्रोण्यः पशुरिवाऽभिहितो वह्निर्दुद्रवत् तत्रार्णा धीरेव नृमणा वीरपस्त्यस्तनयः सनिता भवेत् ॥४॥

Word-Meaning: - (यत्र) यस्मिन् (वह्निः) वोढाऽग्निः (अभिहितः) कथितो धृतो वा (दुद्रवत्) भृशं गच्छति (द्रोण्यः) द्रोणेषु शीघ्रगामिषु भवः (पशुः) यो दृश्यते (नृमणाः) नृषु मनो यस्य सः (वीरपस्त्यः) वीरा पस्त्ये गृहे यस्य सः (अर्णा) प्रापिका (धीरेव) ध्यानवतीव (सनिता) विभक्ता ॥४॥
Connotation: - अत्र [उपमा]वाचकलुप्तोपमालङ्कारौ। येऽग्निवत्तेजस्विनो वेगवन्तो भवेयुस्ते सत्याऽसत्यविभाजका भवेयुः ॥४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमा व वाचकलुप्तोपमालंकार आहेत. जे अग्नीप्रमाणे तेजस्वी व वेगवान असतात त्यांनी सत्य असत्याचा भेद जाणावा. ॥ ४ ॥